Chemistry GK MCQ Question In Hindi
Chemistry, हमारे आसपास की दुनिया को समझने का एक महत्वपूर्ण आधार है। Chemistry GK न केवल आपको विभिन्न पदार्थों और उनकी प्रतिक्रियाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है बल्कि यह आपके तार्किक सोच को भी विकसित करता है। कई Entrance या Competitive Exam में रसायन विज्ञान के सामान्य ज्ञान से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, जैसे कि UPSC CSE, IIT-JEE, NEET, NDA, CAT और विभिन्न राज्य स्तरीय परीक्षाओं में। Chemistry GK का ज्ञान आपको इन परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह दैनिक जीवन में होने वाली कई घटनाओं को समझने में भी आपकी सहायता करता है।

क्लोरोफॉर्म का क्वथनांक है ?
किसी भी पदार्थ का क्वथनांक वह तापमान होता है जिस पर उस पदार्थ का द्रव रूप गैस रूप में परिवर्तित होने लगता है। दूसरे शब्दों में, यह वह तापमान है जिस पर द्रव के वाष्प दाब और वायुमंडलीय दाब बराबर हो जाते हैं। क्लोरोफॉर्म का क्वथनांक 61.2 डिग्री सेल्सियस होने के कारण, इसे अन्य पदार्थों से अलग करना और इसकी शुद्धता को निर्धारित करना संभव हो जाता है।
बायोगैस संयंत्र से निष्कासित निम्नलिखित में से कौन-सी गैस इंधन गैस के रूप में उपयोग में आती है ?
बायोगैस संयंत्र में जैविक अपशिष्ट जैसे खाद, कृषि अवशेष, और अन्य कार्बनिक सामग्री का विघटन होता है, जिससे मीथेन गैस उत्पन्न होती है। मीथेन, जो बायोगैस का प्रमुख घटक है, एक उत्कृष्ट इंधन स्रोत है और इसे घरेलू और औद्योगिक उपयोगों में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह जलवायु परिवर्तन के लिए कम हानिकारक है और नवीनीकरणीय ऊर्जा के रूप में इसकी पहचान बढ़ रही है। मीथेन के अलावा, बायोगैस में कार्बन डाइऑक्साइड और कुछ अन्य गैसें भी होती हैं, लेकिन मीथेन के ऊर्जा उत्पादन के कारण इसकी प्रमुखता है।
ओडियो और वीडियो टेप पर कौन-सा रासायनिक पदार्थ का लेप रहता है ?
ओडियो और वीडियो टेप पर मैग्नेटिक पाउडर का लेप होता है, जो टेप की सतह पर होता है। यह पाउडर धातु के छोटे कणों का बना होता है, जैसे कि फेराइट, जो मैग्नेटिक गुणों के कारण ध्वनि और चित्र को रिकॉर्ड और पुनः प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करता है। जब टेप को एक रिकॉर्डिंग डिवाइस में चलाया जाता है, तो मैग्नेटिक पाउडर ध्वनि तरंगों या चित्रों के संकेतों को रिकॉर्ड करता है। इस तकनीक ने पिछले कुछ दशकों में मीडिया उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं, जिससे टेप की रिकॉर्डिंग और पुनर्प्राप्ति संभव हो पाई है।
लेड संचायक बैटरी के आवेशित होने पर क्या होता है ?
लेड संचायक बैटरी में, जब इसे आवेशित किया जाता है, तो इसमें रासायनिक परिवर्तन होता है। यह प्रक्रिया लेड (Pb) और लेड ऑक्साइड (PbO2) के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया से होती है, जो विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करती है। इस प्रक्रिया के दौरान, बैटरी के अंदर उपस्थित इलेक्ट्रोलाइट में भी परिवर्तन होता है, जिससे बैटरी की क्षमता और प्रदर्शन प्रभावित होता है। जब बैटरी डिस्चार्ज होती है, तो यह रासायनिक परिवर्तन उलट जाता है, जिससे विद्युत ऊर्जा फिर से उत्पन्न होती है। यह प्रक्रिया बैटरी के जीवनकाल और उसके चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के चक्रों को निर्धारित करती है।
वह धातु जो सामान्य ताप पर द्रव है ?
पारा (Hg) एकमात्र धातु है जो सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में होती है। इसका क्वथनांक 356.73 °C है, जो इसे तरल रूप में रखने की अनुमति देता है। पारा का उपयोग विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है, जैसे कि थर्मामीटर, बैरोमीटर, और अन्य वैज्ञानिक उपकरणों में। इसकी विशेष विशेषता यह है कि यह तापमान में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है, जिससे यह तापमान मापने के लिए आदर्श बनता है। हालांकि, पारा एक विषैला तत्व है, और इसके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं, इसलिए इसकी सावधानीपूर्वक हैंडलिंग आवश्यक है।
प्रयोगशाला में यूरिया का संश्लेषण सबसे पहले किसने किया ?
फ्रीडरिक वोल्हर ने 1828 में प्रयोगशाला में यूरिया का संश्लेषण किया था, जो कि रासायनिक संश्लेषण का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है। यह घटना रसायन विज्ञान में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का संकेत है क्योंकि यह सिद्ध करती है कि जैविक यौगिकों को भी रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा बनाया जा सकता है। वोल्हर ने अमोनियम साइनाइड से यूरिया का निर्माण किया, जो कि जैविक रसायन विज्ञान में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। यह प्रयोग यह दर्शाता है कि जीवन के रसायन विज्ञान को समझने में रासायनिक सिद्धांतों का प्रयोग किया जा सकता है, जिससे जैविक और अजैविक रसायनों के बीच की सीमाएं धुंधली हो गईं।
धातु की प्रकृति कैसी होती है ?
अधिकांश धातुएँ सामान्य तापमान पर ठोस अवस्था में होती हैं। धातुओं की ठोस प्रकृति उनके क्रिस्टलीय ढांचे और मजबूत इंटर-मॉलिक्यूलर बलों के कारण होती है। यह उन्हें उच्च तापमान पर भी ठोस बनाए रखता है। धातुओं में विभिन्न गुण होते हैं, जैसे कि उच्च तापीय और विद्युत चालकता, दृढ़ता, और प्लास्टिसिटी। इसलिए, धातुएँ औद्योगिक उपयोगों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, स्टील, एल्यूमीनियम, और तांबा जैसे धातु विभिन्न निर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग होते हैं। कुछ अपवादों के रूप में, जैसे कि पारा, जो सामान्य ताप पर द्रव है, अधिकांश धातुएँ ठोस अवस्था में पाई जाती हैं।
11Na22 से 1 β उत्सर्जन के बाद बनने वाला पदार्थ है ?
β उत्सर्जन एक प्रकार की रेडियोधर्मी प्रक्रिया है जिसमें एक न्यूट्रॉन एक प्रोटॉन में परिवर्तित होता है, और एक β कण (इलेक्ट्रॉन) उत्सर्जित होता है। जब 11Na22 से एक β उत्सर्जित होता है, तो यह एक प्रोटॉन में बदल जाता है, जिससे एक नया तत्व, 12Mg22, बनता है। यह प्रक्रिया नाभिकीय भौतिकी में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तत्वों के परिवर्तन के माध्यम से नाभिकीय स्थिरता और ऊर्जा संतुलन को प्रभावित करती है। इस प्रकार के परिवर्तन विभिन्न प्रकार के नाभिकीय प्रतिक्रियाओं और रेडियोधर्मी विघटन के अध्ययन में महत्वपूर्ण होते हैं।
सबसे अधिक विद्युत् ऋणात्मक तत्व है ?
फ्लोरीन (F) सबसे अधिक विद्युत् ऋणात्मक तत्व है, जिसका इलेक्ट्रोनगेटिविटी मान 4.0 है। इसका मतलब है कि फ्लोरीन अन्य तत्वों के मुकाबले इलेक्ट्रॉनों को अधिक मजबूती से आकर्षित करता है। यह गुण इसे रासायनिक प्रतिक्रियाओं में एक महत्वपूर्ण तत्व बनाता है, खासकर हाइड्रोजन फ्लोराइड जैसे यौगिकों के निर्माण में। फ्लोरीन की उच्च इलेक्ट्रोनगेटिविटी इसे कई जैविक और अकार्बनिक यौगिकों में उपयोग के लिए आदर्श बनाती है। यह गुण इसे औद्योगिक रसायनों, दवाओं, और अन्य सामग्रियों में भी महत्वपूर्ण बनाता है।
सभी एलीफेटिक यौगिकों का जन्मदाता माना जाता है ?
कार्बन (C) को सभी एलीफेटिक यौगिकों का जन्मदाता माना जाता है क्योंकि यह रासायनिक संरचना में केंद्रीय भूमिका निभाता है। एलीफेटिक यौगिक वे होते हैं जिनमें कार्बन के लंबे श्रृंखलाबद्ध कण होते हैं, जो सीधे या शाखित होते हैं। कार्बन के चार वैकल्पिक बंधन बनाने की क्षमता इसे विभिन्न प्रकार के यौगिकों का निर्माण करने में सक्षम बनाती है। इसलिए, कार्बन की उपस्थिति एलीफेटिक यौगिकों के लिए अनिवार्य है। यह जैविक रसायन में भी महत्वपूर्ण है, जहां कार्बन यौगिकों का निर्माण जीवन के लिए आवश्यक है।

न चिपकने वाले खाना पकाने के बर्तनों में कौन-सा लेप चढ़ा होता ?
टीफ्लॉन एक प्रकार का पॉलिमर है जिसका उपयोग न चिपकने वाले खाना पकाने के बर्तनों में किया जाता है। यह एक फ्लोरोपॉलिमर है, जो अपनी उच्च तापमान सहिष्णुता और रासायनिक स्थिरता के लिए जाना जाता है। टीफ्लॉन का लेप बर्तनों को खाना पकाने के समय चिपकने से रोकता है, जिससे खाना पकाने की प्रक्रिया सरल और सुविधाजनक होती है। इसके अलावा, टीफ्लॉन का उपयोग नॉन-स्टिक पैन, बेकिंग ट्रे, और अन्य किचन गैजेट्स में किया जाता है। हालांकि, उच्च तापमान पर इसके उपयोग से सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह विषैले गैसों का उत्सर्जन कर सकता है।
रॉकेट में से किस प्रकार का ईधन प्रयोग किया जाता है ?
रॉकेट प्रणालियों में आमतौर पर तरल ईधन का उपयोग किया जाता है, जैसे कि RP-1 (क्रूड ऑयल का रिफाइंड संस्करण) और तरल ऑक्सीजन। ये ईंधन उच्च ऊर्जा घनत्व प्रदान करते हैं, जो रॉकेट को वांछित ऊँचाई तक पहुँचने की अनुमति देते हैं। तरल ईंधनों का मुख्य लाभ यह है कि इन्हें नियंत्रित तरीके से इंजेक्ट किया जा सकता है, जिससे थ्रस्ट को यथासंभव नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, ठोस ईंधन का भी उपयोग किया जाता है, लेकिन तरल ईंधन अधिक लचीले होते हैं और इन्हें रॉकेट के प्रक्षेपण के दौरान अधिक कुशलता से नियंत्रित किया जा सकता है।
परमाणु के नाभिक में कौन से कण होते हैं ?
परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते हैं। प्रोटॉन सकारात्मक चार्ज वाले कण होते हैं, जबकि न्यूट्रॉन का कोई चार्ज नहीं होता। ये दोनों कण नाभिक के केंद्रीय भाग में स्थित होते हैं और परमाणु के द्रव्यमान का बड़ा हिस्सा बनाते हैं। इलेक्ट्रॉन, जो नकारात्मक चार्ज वाले होते हैं, नाभिक के चारों ओर की कक्षा में घूमते हैं, लेकिन वे नाभिक का हिस्सा नहीं होते। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की संख्या किसी परमाणु की पहचान और विशेषताओं को निर्धारित करती है, जैसे कि उसका तत्व और उसकी रासायनिक प्रतिक्रिया क्षमता।
बिना बुझे चुने का रासायनिक नाम है ?
बिना बुझा हुआ चूना क्या होता है? यह चूने का एक रूप है जिसे चूना पत्थर को बहुत अधिक तापमान पर गर्म करके बनाया जाता है। यह एक सफेद, कठोर और क्षारीय पदार्थ होता है।
सभी जैव यौगिकों का अनिवार्य मूल तत्व है ?
सभी जैव यौगिकों का अनिवार्य मूल तत्व कार्बन है। कार्बन के चार वैकल्पिक बंधन बनाने की क्षमता इसे विभिन्न प्रकार के यौगिकों का निर्माण करने में सक्षम बनाती है। जैविक रसायनों में कार्बन यौगिकों का निर्माण जीवन के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं का आधार है, जैसे कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, और न्यूक्लिक एसिड। जैविक प्रणाली में कार्बन की उपस्थिति इसे एक अद्वितीय तत्व बनाती है, जो जीवन के विभिन्न रूपों के विकास और अस्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, कार्बन को जीवन की मूलभूत इकाई माना जाता है।
सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में पोधे CO2 और जल से अपना भोजन (ग्लूकोज) तैयार करते हैं। यह कौन-सी अभिक्रिया है ?
प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पौधे सूर्य की रोशनी का उपयोग करके CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) और जल से अपना भोजन ग्लूकोज तैयार करते हैं। यह प्रक्रिया मुख्यतः पौधों के हरे भागों में होती है, जिसमें क्लोरोफिल होता है। प्रकाश संश्लेषण के दौरान, सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके CO2 और जल को ग्लूकोज और ऑक्सीजन में परिवर्तित किया जाता है। यह प्रक्रिया पर्यावरण में ऑक्सीजन का उत्पादन करती है, जो जीवन के लिए आवश्यक है। प्रकाश संश्लेषण प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
किस वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम ‘आवर्त सारणी’ का निर्माण किया ?
डेमिट्री मेंडेलीव ने सर्वप्रथम आवर्त सारणी का निर्माण किया था, जो तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आधार पर व्यवस्थित करती है। 1869 में प्रस्तुत की गई, यह सारणी तत्वों के गुणों और व्यवहारों के बीच संबंधों को स्पष्ट करने में सहायक सिद्ध हुई। मेंडेलीव ने सारणी में तत्वों को उस क्रम में रखा, जिससे उनकी विशेषताएँ स्पष्ट हो सकें। उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की कि कुछ तत्व अभी खोजे नहीं गए हैं, और उनकी भविष्यवाणियाँ सही साबित हुईं। उनकी आवर्त सारणी ने रसायन विज्ञान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया और इसे आधुनिक रसायन विज्ञान की नींव में से एक माना जाता है।
एक नाभिक का धनावेशित भाग कहलाता है ?
एक नाभिक का धनावेशित भाग प्रोटॉन कहलाता है। प्रोटॉन सकारात्मक चार्ज वाले कण होते हैं जो परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ मिलकर स्थित होते हैं। प्रोटॉन की संख्या किसी तत्व की पहचान करती है और इसे परमाणु संख्या भी कहा जाता है। यह संख्या तत्वों की रासायनिक विशेषताओं को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होती है। प्रोटॉन और न्यूट्रॉन मिलकर परमाणु का द्रव्यमान बनाते हैं, जबकि इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर घूमते हैं। प्रोटॉन की उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि तत्व के गुण और प्रतिक्रिया क्षमताएँ क्या होंगी।
प्रोटॉन की खोज किसने की थी ?
प्रोटॉन की खोज अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा की गई थी। 1911 में, रदरफोर्ड ने अपने प्रसिद्ध गोल्ड फॉइल प्रयोग के माध्यम से यह सिद्ध किया कि परमाणु के नाभिक में एक सकारात्मक चार्ज वाला कण होता है, जिसे बाद में प्रोटॉन के रूप में जाना गया। उनके प्रयोग ने यह दर्शाया कि परमाणु का अधिकांश द्रव्यमान नाभिक में स्थित होता है, और यह नाभिक इलेक्ट्रॉनों के चारों ओर होता है। रदरफोर्ड के इस कार्य ने परमाणु संरचना के हमारे ज्ञान में क्रांतिकारी बदलाव लाया और आधुनिक भौतिकी और रसायन विज्ञान की नींव रखी।
परमाणु बम का आविष्कार किसने किया था ?
रॉबर्ट ओपनहिमर को परमाणु बम का आविष्कारक माना जाता है। उन्होंने अमेरिका के मैनहट्टन प्रोजेक्ट के प्रमुख वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पहले परमाणु बम का निर्माण किया। ओपनहिमर ने कई प्रमुख वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम किया और 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस घटना ने युद्ध का अंत किया, लेकिन इसके साथ ही यह मानवता के लिए विनाशकारी शक्तियों की चेतावनी भी बन गई। ओपनहिमर ने बाद में परमाणु हथियारों की विनाशकारीता के बारे में विचार करते हुए कहा, “अब मैं मृत्यु का देवता बन गया हूँ।”
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